
डबवाली
जैन स्थानक में विराजमान जैन महासाध्वी सुदक्षा जी महाराज ठाणे-5 ने वीरवार सुबह प्रवचन करते हुए कहा कि हर मनुष्य के भीतर एक अभिलाषा है, एक लालसा है कि जिंदगी में सफलता पानी है। अनेक लोग ऐसे होते हैं जो एक दो बार असफल होने पर निराश हो जाते हैं और प्रयास करना छोड़ देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जो पहले से अधिक ताकत लगातार प्रयास पर प्रयास करते हैं और अंत में सफलता को पाकर रहते हैं। उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि जीवन में कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं जो दूसरों की सफलता से, दूसरों की प्रशंसा होने पर उनसे ईर्ष्या करते है और दूसरों के अच्छे कार्यों में बाधा पैदा करने का प्रयास करते हैं लेकिन अंत में अच्छे व सच्चे व्यक्ति की हमेशा जीत होती है। लेकिन यह जीत तभी होती है जब हम धैर्य व संयम के साथ अपने कार्य में लगातार जुटे रहें।
महासाध्वी सुदक्षा जी महाराज ने क्रोध करने के नुकसान भी श्रावकों से समझाए। उन्होंने कहा कि दिन भर काम करने से हमें उतनी थकावट नहीं होती जितनी कुछ देर क्रोध करने से हो जाती है। क्रोध हमारा शत्रु हैं, ऐसा शत्रु जो हमारे शरीर को तो नुकसान पहुंचाता ही है बल्कि हमारे वर्षों के अच्छे कार्यों पर भी कुछ समय में ही पानी फेर कर हमारी प्रतिष्ठा को धुमिल कर देता है। उन्होंने श्रावकों को समझाया कि हमेशा क्रोध के समय थोड़ा रूक जाएं और गलती के समय थोड़ा झुक जाएं, इससे सभी समस्याओं को उसी समय समाधान हो जाएगा। उन्होंने श्रावकों को बाहरी सफाई के साथ-साथ भीतर की सफाई भी करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने समझाया कि भीतर से सफाई होने पर ही हमारा कल्याण हो सकता है।
जैन सभा के प्रधान सुभाष जैन पप्पी ने बताया कि जैन स्थानक में प्रतिदिन सुबह 8:25 बजे से 9:30 बजे तक महासाध्वी सुदक्षा जी महाराज ठाणे-5 के प्रवचन होते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर धर्म लाभ उठाने की अपील की।
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